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रविवार, 21 फ़रवरी 2021

प्रेम और स्वार्थ की परिभाषा को जानना आज की युवा पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है ।

आज की युवा पीढ़ी को प्रेम और स्वार्थ के अंतर को समझना अत्यंत जरूरी हो गया है , क्योंकि सच्चा प्रेम स्वार्थ की नीव पर जीवन भर नहीं चल सकता है ।


प्रेम का अर्थ खुशियां देना होता है। एक दूसरे की भावनाओं को समझना होता है । मित्रो आध्यात्मिक प्रेम और तात्विक प्रेम भी होता हे । उसे समझना आसान नहीं हे।लेकिन नामुमकिन भी
नहीं हे। इसे हम नेक्स्ट लेख में समझेंगे।

ये भी सूक्ष्म और स्थूल होता हे। इस विषय पर हम फिर कभी बात करेंगे।

शारीरिक स्वार्थ शरीर की सुंदरता के साथ तक ही रहता है । जबकि सच्चा प्रेम जीवन के प्रत्येक पढ़ाव पर एक दूसरे का सहारा बनकर एक दूसरे के जीवन को सुंदर और सुखमय बनाकर अंतिम सांस तक साथ रहता है ।

शारीरिक स्वार्थ से ज्यादा नैतिक गुणों और शुद्ध संस्कारों को जीवन में अहमियत देना चाहिए, क्योंकि शारीरिक स्वार्थ केवल शारीरिक सुंदरता तक ही सीमित रहता है।
जबकि नैतिक गुण और शुद्ध संस्कार जीवन के अंतिम-क्षणों तक एक दूसरे के जीवन को चरित्रवान और आदर्शमय बनाते हैं।

प्रेम का सच्चा स्वरूप आत्मिक होता है। जबकि स्वार्थ का स्वरूप शारीरिक पूर्ति करना होता है । 

आज के समय में शारीरिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए लोग एक दूसरे से झूठ बोलकर एक दूसरे का शोषण करते हैं। शारीरिक सुंदरता को प्राथमिकता और वास्तविक गुणो को अनदेखा करना आज की युवा पीढ़ी का फैशन बनता जा रहा है। जो आने वाले कल के लिए देश समाज और लोगों के जीवन में अशांति का कारण बनेगा,

दुख तनाव भरी जिंदगी से निजात पाने के लिए हमें प्रेम का सच्चा अर्थ जानना ही होगा,

प्रेम आत्मा का बहुमूल्य तोहफा है जो परमात्मा ने दिया है ‌हमें और
शारीरिक स्वार्थ प्रकृति का तोहफा है, जो प्रकृति ने दिया है हमें

हमें आत्मा और प्रकृति के इन बहुमूल्य तोहफो का अपने जीवन में सदुपयोग करने
के लिए प्रेम की परिभाषा को जानना ही होगा ।
                                     
                                                       धन्यवाद
























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