समाधि के फायदे और नुकसान क्या क्या हे,

Great knowledge of soul

मित्रो

 आज हम बात करेंगे समाधि से क्या फायदे और नुकसान मिलते हे। समाधि की शुरुवात सबसे पहले ध्यान से शुरू होती हे। और ध्यान एक सुक्ष्म यात्रा ही हे । 

ये यात्रा पहुंचती पहुंचती सुन्य तक जाती हे। और फिर सुन्य से अनंतो सुन्य तक जाती हे और फिर सुन्य से परमचेतनय तक जाती हे और फिर परम चेतन्य से परमसुन्य में जाकर अचेतन अवस्था को प्राप्त होती हे।अगर कोई पूर्ण समाधी में लीन हे तो जैसे महात्मा बुद्ध ने सुन्य तक की यात्रा की 


जो समाधी में लीन हे उसको अनेकों लोभ में प्रकृति लुभाती हे
अनेकों सिधियो के लालच मे लुभाती हे।
जो इन लालचो में आ जाता हे उसकी यात्रा वही समाप्त हो जाती हे और वो सिधिया भी कुछ नियमों में बंधी होती हे।
और सादक को उन नियमों का पालन करना ही पड़ता हे।
अन्यथा वो गायब हो जाती हे। और सादक का समय बर्बाद हो ही जाता हे।

और जो सादक इनके लालच में नहीं आता हे। वह अपनी यात्रा
में नित्य आगे बढ़ता रहता हे।

लेकिन क्या ये यात्रा हमे पूर्ण सत्य की प्राप्ति करवाती हे ।
वो अजर अमरता क्या किसी यात्रा से मिलेगी । बिलकुल भी नहीं क्युकी पूर्ण सत्य की कोई यात्रा ही नहीं होती हे। वो प्रयास से मिलता ही नही हे। वो तो प्रयासरहितता से प्राप्त होता हे।

और ध्यान में तो प्रयास ही होता हे ।
हम परमसुन्य से ही तो आए हे और फिर वही जाना चाहते हे।
और फिर वहा से गिरते गिरते अनंत सूक्ष्मता से अनंत स्थूलता की और ये चढ़ना और उतरना ही लगा रहता हे।
और हमारे अनंतो युग इस उतार और चढ़ाव में ही लग जाते हे
परिणाम सुन्य ही आता हे।

इनसे मुक्ति पाना असम्भव हे। केवल अजर अमर आत्मा ही हमें
इन बंधनो से मुक्त कर सकती हे। वो ही असंभव को संभव कर सकता हे । 

इसलिए उस सत्य परमात्मा से निरन्तर जुड़ो । 

उस पत्ते की तरह जो पानी के बहाव से बहता हे।
उस पानी में पत्ते की कोई मर्जी नहीं होती हे।
वह तो केवल पानी के बहाव को जानता हे।
जहा पानी का बहाव ले जाए जैसे ले जाए।
वैसे बहना ही  प्रयासरहितता कहलाता हे।

मित्रो ये ज्ञान नहीं हे । ये समस्त ज्ञान और अज्ञान को मिटाने का सहज और सरल मार्ग हे। 
तो मित्रो समाधी से कोई फायदा नही हे। केवल नुकसान ही हे समय का और जीवन का 
जीवन का इसलिए क्योंकि जो फायदे हमने प्रकृति के नियमो को तोड़ कर प्राप्त किए उनका भुगतान भी हमे करना पड़ता हे।
उन सिद्धियो से जो सुख और आनंद और प्रसिद्धि हमने प्राप्त की उनका भुगतान हमे करना ही पड़ता हे। इसलिए मित्रो उस 
निरआनंद से जुड़ो। उस निर्मोही से जुड़ो।
उस कल्पना अतित से जुड़ो। 
उस अपार, अगाद  से जुड़ो।
उस निर्भय से जुड़ो।
वो आपके सारे भय और अभय को मिटा देगा।
एक पल के भी सौवे हिस्से से भी कम समय में
आपके दुख, दर्द, पीड़ा, को पूर्ण मिटा देगा।

वो ही आपके जीवन को सहज सुगम और सरल बनायेगा।

धन्यवाद 






टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

चेतना का पूर्ण मिटाव केसे होता हे।

सब कुछ पा लेने के बाद भी हम अधूरे से क्यू रह जाते हे

बीते समय की यादें हमेशा साथ रहती है