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शुक्रवार, 5 मार्च 2021

बीते समय की यादें हमेशा साथ रहती है

बीते समय का हमारे जीवन में बहुत महत्व है हम समय के साथ-साथ आगे बढ़ते रहते हे। लेकिन जब हम उन बीती यादों और पलो को याद करते हे। तब हमारे मन में कभी खुशी कभी गम की लहरे अक्सर उमड़ ही जाती हे।


बीते हुए समय को याद कर हम कभी खुशी के पलो मैं खो जाते हैं ,
तो कभी दुखी और कभी नीरस हो जाते हैं । ये हमारी यात्रा हे जिसमे हम सुख दुख आनंद का अनुभव करते हे।
जो अनंतो जन्मों से चल ही रही हे। ये कभी समापत ने होने वाली लंबी यात्रा हे। जो जन्म लेती हे और मरती हे।


समय निरंतर चलता ही रहता है और हमें यह शिक्षा देता है 
की जीवन में हमें भी निरंतर संघर्षों और कठिनाइयों का समाधान करते हुए।

निरंतर आगे बढ़ते  ही रहना चाहिए । व्यवहारिक  
जीवन को चलाने के लिए । हमे चलना ही पड़ता हे।

अध्यात्म यात्रा में ठहरना पड़ता हे ।  


समय के साथ साथ जीवन में सुख दुख आते रहते हैं लेकिन हमें धैर्य और साहस के साथ उस समय का उचित उपयोग कर जीवन मैं संतुलन बनाऐ रखना चाहिए।

समय के साथ साथ हमारे विचारों और कार्यों में बदलाव आ जाते हैं बचपन के सारे सपनों को पूरा करने का समय जवानी में होता है
लेकिन उन सपनों के साथ कभी-कभी हमें समझौता भी करना पड़ जाता है ,

असफलताओ और निराशाओं का सामना जब होता हैै तो हम अंदर से टूट से जाते हैं ।

लेकिन हमें समय के साथ साथ निरंतर आगे बढ़तेेे रहना चाहिए और अपने लक्ष्य की और बढ़ते ही रहना चाहिए
 
वर्तमान समय के साथ जीवन के नयेे सपनों को पूरा करनेे में समय का
 सदुपयोग करना चाहिए।

जब हम वृद्धावस्था मैं पहुंचते हैं तो हमें बचपन से लेकर जवानी तक कि सभी बीती-बातो और यादोंं,
से रूू बे रू होना अच्छा लगता है ,और वृद्धावस्था का समय आसानी से पास होता रहता हैै यही हमारी past of journey कहलाती है ।   


हमारा बचपन और जवानी का समय अनेकों लापरवाही के कारण अगर दुखी और मायूस भरा गुजरा है तो हमें वृद्धावस्था मैं पछताना पड़ता है की उस समय हमें समझ नहीं थी और हमने समय का पूरा सदुपयोग नहीं किया ।

तो आज से ही हमें अपने समय का सही सदुपयोग अपने जीवन में करने के लिए विचार करना चाहिए , जिससे आने वाला कल हमें खुशियां देेे सकेे।


दोस्तों समय कैसा भी हो लेकिन हमें हमेशाा खुश रहकर समय को अलविदा करना चाहिए । वैसेे भी दोस्तों जीवन अनमोल है इसे प्रसन्नन चित्त रहकर संपन्न करें। और संपूर्ण जीवन जिए पूर्णता के साथ अधूरेपन के साथ नहीं।

जो चला गया और जो आने वाला है वो भी चला जायेगा
यही तो जीवन चक्र हे ।
बस चलना और चलते ही जाना हे । 

लेकिन मित्रो ये ज्ञान केवल व्यवहारिक जीवन के लिए हे।


आध्यात्मिक जीवन के लिए कुछ और ही विचार होते हे।

जो व्यवहारिक जीवन से मैच बिलकुल भी नही खाते हे।



आप अपनी राय कॉमेंट्स के जरिए दे सकते हैं मुझे खुशी होगी।

धन्यवाद ।




Sabkesath.blogspot.com

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