मंगलवार, 28 मार्च 2023

अमर जीवन और मृत जीवन में क्या अंतर है।

Great knowledge of soul 

मित्रो,

ये विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। कि जीवन भी मृत होता हे।
और पूर्ण जीवन अमरता से ही मिलता हे। 

और मृत जीवन मृत विवेक ही होता हे।
और अमर जीवन अमर विवेक ही होता हे।

मृत जीवन अज्ञानता का प्रतीक हे।
और अमर जीवन ही पूर्ण ज्ञान हे।

और आत्मा ही अमर जीवन हे अर्थात आत्मा ही अमर हे 

हम जो जीवन जीते हे।
वो मृत जीवन ही जीते हे।

मृत जीवन से तात्पर्य अधूरा जीवन जो ने तो पूर्णता से मरता हे। और ने ही पूर्णता से जीता हे। 

मृत जीवन का मतलब अज्ञानता का जीवन।
मृत जीवन का मतलब पूर्ण असत्य का जीवन।
मृत जीवन का तात्पर्य पूर्ण परतंत्रता का जीवन जिसमे हम पूर्ण स्वतंत्र नही हे।

और ये मृत जीवन भी उस अमर जीवन के आधार से ही जीवित हे ।
अगर वो अमर जीवन न हो तो हम सब मृत
ही हे। 
उसी की कृपा हे की हम सब मृत होते हुऐ भी जीवित हे।

परमचेतना परमसुन्य के आधार से जीवित हे।
और परमसुन्य पूर्ण परमात्मा के आधार से । आत्मा परमात्मा दोनो एक ही हे। क्युकी पूर्ण अमर दो नहीं हो सकते हे।

दो ही धारा हे ।
एक पूर्ण सत्य और एक पूर्ण असत्य ।

पूर्ण असत्य ने अपने आपको
अर्द्ध सत्य+अर्द्ध असत्य में  विभाजित कर रखा हे।
अर्द्ध ज्ञान+अर्द्ध अज्ञान में विभाजित कर रखा हे।
इसलिए अज्ञानता से और अहंकार से जो मिलता हे वो
माया ही हे। असत्य ही होता हे।
यही माया हे। और इसी माया ने हम सबको भ्रमित कर रखा है।

और पूर्ण सत्य की धारा पूर्णता से अपरिवर्तित हे।  अटलता से परमथिर हे। पूर्णता से सर्वव्याप्त हे।  
कण में भी और अकण में भी ।

और हम सब और अनंत श्रृष्टि उस अगाध,अथाह, अपार, अमर
पूर्ण शांत महासागर में ऐसे जीवन जी रहे हे। 
जैसे जल में मछली और जल में जीने वाले जीव अपना जीवन जीते हे । जल कभी भी उनके जीवन में अवरोध खड़ा नहीं करता हे। वैसे ही परमात्मा अखिल अनंत ब्रह्मांड में । कभी कोई अवरोध उत्पन नही करता हे। इसलिए वो अकर्ता हे। 

मित्रो
ये ज्ञान हर किसी के समझ में नहीं आता हे ।
इस ज्ञान को वो ही समझ पाता हे जिस पर उसकी कृपा हो।

ये ज्ञान देखने, सुनने, और पढ़ने से भी समझने में नहीं आएगा।
क्युकी इसके लिए पूर्ण समर्पण होना चहिए। 
और आत्मा की पूर्ण कृपा होनी चाहिए। उसकी कृपा सब को मिली हुई ही हे बस हमे सहज होना हे। 

अखंड विश्वास उस अजर अमर परमात्मा में ।

फिर वो आपके लिए समस्त अज्ञात दरवाजे खोल देता है।
अनंत अकुट खजाने का मालिक आपको बना देता हे। वो फिर असंभव को संभव कर देता हे। 

जिसे परमचेतना ने आज तक उन दरवाजों को छुआ भी नही हे। जिस तक पहुंचने की वह अनंतो युगों से कोशिश ही कर रही हे। तरस रही हे। और नित्य प्रयासरत हे।


धन्यवाद 















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