सूक्ष्म कर्म और स्थूल कर्म में अंतर

Great knowledge of soul

मित्रो
आज हम सूक्ष्म और स्थूल कर्म को जानेंगे।
हम जिन कर्मो को करते हे उनको भी और जिन कर्मो को अनजाने में करते हे उनको भी जानेगे। लेकिन कर्म हमको करने ही पड़ते हे। बिना कर्म किए हम रह ही नही सकते हे। 
ये अनंतो प्रकृतियो का बहाव ही हे जिसमे हमको बहना ही पड़ता हे। 

कर्म बहाव ही हे। और ये बहाव फिक्स हे।
इसलिए कर्म भी फिक्स हे।

भविष्य में क्या होगा और कब होगा केसे होगा और क्यू होगा।
ये बताना क्या कर्मो का फिक्स होना साबित नही करता हे ।

जब हमारा भविष्य फिक्स हे ।
तो वर्तमान फिक्स नही होगा ।

भविष्य में जो होगा उसी की पूर्ति हम वर्तमान में करते हे।
कि जब हम वर्तमान में ये करेंगे तब भविष्य में ये घटना घटित होगी। 

और किन किन घटनाओं में बदलाव होगा किस में नहीं ये भी
फिक्स हे।

इसको जानने के लिए आत्म समझ होनी चहिए क्युकी आत्मा ही आपके अनंतो आने वाले भविष्य की घटनाओं को जानती हे। वो जानन हार हे वो सब जानता हे आपके अगले, पिछले समस्त कर्मो को । 

अब प्रश्न ये उठता हे । हमारे आलस्य मन में की हम मेहनत ही क्यों करे।

जब समस्त कर्म फिक्स हे तो हम कर्म ही क्यों करे।

समस्त कर्मो का फल भी निश्चित हे। 
अर्थात कर्म भी फिक्स और उनका फल भी फिक्स
फिर तो मौज ही मौज हे।


जो होना हे वो होकर ही रहेगा फिर हम टांग क्यू लगाए।

ऐसे विचार अक्सर हम बुद्धि जीवो में आ ही जाते हे।

क्योंकि आलस्य के लिए तो हम अनंत उपाय ढूंढ ही लेते हे।
 
ये ज्ञान निशुल्क हे लेकिन कुछ बाते अपने मृत विवेक से भी  जाननी चाहिए।
जब सब कुछ फिक्स हे। तो हम कर्म क्यू करे।

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जो बता सकते हे। वो ही बताए ।

अन्येथा शान्त रहे और आत्म ज्ञान लेते रहे। 
सहजता से सरलता से निशुल्कता से ।

टिप्पणी विषय से संबंधित होनी चाहिए । 

आध्यात्मिक होनी चाहिए । 

अन्यथा आपको भविष्य में आत्म ज्ञान नही मिलेगा।
इस चैनल के द्वारा।

धन्यवाद 













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